कब्जे की जमीन पर बने मस्जिद–मदरसे

कब्जे की जमीन पर बने मस्जिद–मदरसे को तुड़वाने के बजाए किया समझौता, देखिये अलीगढ का ये खास मामला

Mosque-Madrasa

Mosque-Madrasa built on occupied land

अलीगढ़ के रोरावर क्षेत्र में साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश की गई है। यहां एक हिंदू की जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा कर मस्जिद और मदरसे का निर्माण कर दिया गया जिसे तोड़ने पहुंची टीम को बिना कार्रवाई वापस लौटना पड़ा।

अलीगढ़: शहर के संवेदनशील क्षेत्र रोरावर के मकदूम नगर में सांप्रदायिक सौहार्द की बड़ी मिसाल कायम हुई। शिकायत के बाद निजी जमीन पर कब्जा कर बनाए गए मदरसा व मस्जिद को हटाने पहुंची कोल तहसील व चार थानों की पुलिस को स्थानीय लोगों की सूझबूझ से बिना कार्रवाई किए लौटना पड़ा। शुरुआत में तो अफसरों को भी टकराव की संभावना थी।

यह है पूरा मामला

मामला अलीगढ़ के संवेदनशील शहर हिंदू-मुस्लिम समाज के लोग आमने-सामने थे। प्रशासनिक अफसर व पूर्व विधायक जमीर उल्लाह ने दोनों पक्षों को बैठाकर समझौता कर दिया। तय हुआ कि मुस्लिम समाज के लोग चंदा एकत्रित कर हिंदू समाज के जमीन मालिक को 10 लाख रुपये देंगे। अफसरों के सामने चेक भी दिया गया। इसके बाद जमीन मालिक के अनुरोध पर टीम लौट गई। पृथ्वीराज नगर निवासी दीपिका वार्ष्णेय ने वर्ष 2006 में मकदूम नगर में करीब 800 वर्गगज जमीन शंकरलाल से खरीदी थी।

साल 2015 में इस जमीन पर लोन लिया गया। मार्च-2021 में पता चला कि करीब 400 वर्गगज जमीन पर अवैध रूप से मदरसे का निर्माण कर लिया गया है। फर्जी बैनामे के आधार पर जमीन को सराय हकीम के अफजल सैफी, मुकेश और उसकी पत्नी मछला के नाम कर दिया। 2021 में दीपका को जानकारी हुई। उन्होंने रोरावर में थाना दिवस से लेकर संपूर्ण दिवस तक में शिकायत की। 27 सितंबर को पीड़िता ने सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा।

इस पर कोल तहसील को जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए गए। शासन से विशेष सचिव महेन्द्र सिंह ने अलीगढ़ डीएम से रिपोर्ट तलब की। शासन स्तर से अवैध कब्जे को हटाने के निर्देश दिए। दीपिका ने रोरावर थाने में तीनों आरोपितों पर मुकदमा दर्ज कराया। मौके पर पहुंची टीम में एसडीएम कोल संजीव ओझा, तहसीलदार डा. गजेंद्र पाल सिंह राजस्व लेखपाल व कानूनगो, दो बटालियन पीएसी व चार थानों की पुलिस शामिल थे, जो जेसीबी लेकर पहुंच गए। पैमाइश के बाद कब्जाई गई जमीन पर हो रहे निर्माण कार्य को ध्वस्त कराना शुरू कर दिया। जानकारी पाकर पूर्व विधायक जमीर उल्लाह पहुंच गए। उन्होंने मदरसा व मस्जिद को बचाने के लिए पीड़ित पक्ष को जमीन के बदले मुआवजे देने की पेशकश की। इस पर 10 लाख रुपये का चेक दीपिका को सौंप दिया गया। दीपिका भी मान गईं।

शिकायत के बाद जांच की गई थी तो सामने आया कि निजी जमीन पर मदरसा व धार्मिक स्थल है। हालांकि, बात-चीत कर समस्या का हल निकाला गया जिसके बाद शिकायतकर्ता को उनकी जमीन की कीमत देने पर सहमति बन गई। वहीं कोल के पूर्व विधायक जमीरउल्लाह ने कहा कि कोल तहसील के रजिस्ट्रार कार्यालय में फर्जी बैनामा कैसे हो गया। अधिकारी और किसान इसके लिए कितने दोषी हैं। पूरे मामले की जांच कराकर संबंधित के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए।